kundali me prem yog ya sirf premrog | love
कुंडली में प्रेम योग या सिर्फ प्रेम रोग
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prem yog premrog |
शास्त्रों मे प्रेम हर व्यक्ति की एक स्वाभाविक जरुरत होती
है, थोड़ा सा अनुकूल वातावरण मिलते ही यह दिल मे पनपने लगता है। किसी की यादों में खोने लगते हैं। कभी किसी से ईशारों
में, कभी किसी के विचारों में, कभी किसी के लंबे
साथ में तो, कभी किसी से पहली मुलाकात में अचानक यूं ही एक ही कव, पल में जातक विपरीत लिंगी के प्रति
आकर्षित हो जाते हैं। पह्ले इशारे फिर घंटों बातें होने लगती हैं, फिर रुठना-मनाना
चलने लगता है। हर पल हसीन सा लगने लगता है, लेकिन कई बार देखा जाता है कि, लाख कोशिश करने के बाद भी जीवन नीरस बना रहता है, प्रेम
के लाख बीज बिखेरने पर भी वे अंकुरित नहीं होते, भले ही
कितनी सुहानी रुत हो लेकिन बिना प्यार के मन उदास ही रहता है। हर किसी को किसी
साथी का सूनापन, किसी के साथ न होने की कमी खलती रहती है।
क्या आपने कभी सोचा है कि, आपके प्रेम के पौधे को अंकुरित होने और उसे पोषित करने
में आपकी कुंडली में ग्रहों की दशा क्या मायने रखती है। हमारे ऋषि मुनियों की देन ज्योतिषशास्त्र, जी हां ज्योतिषशास्त्र के अनुसार आपकी कुंडली में ग्रहों की दिशा-दशा के
अनुसार आपका राशिफल ही नहीं बल्कि जीवन का हर पहलु
प्रभावित होता है। जैसे ग्रहों की दशा
बताती है कि आपके नसीब में प्यार है कि नहीं। तो चलिये शुरू करते है कुंडली में प्रेम दर्शाते हैं या नहीं ।
कुंडली मे कैसे देखें love affair (prem yog | premrog)
जीवन मेंprem, love की entry के लिये आपके शुक्र ग्रह और पंचम भाव का अच्छा
होना चाहिए है। शुक्र, चंद्रमा और मंगल ग्रह ही मुख्यत: आपके
प्यार को परवान चढ़ाते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शुक्र को स्त्री और मंगल को पति
का ग्रह माना जाता है। पति-पत्नी, प्रेम संबंध, भोग विलास, आनंद, उमंग, तरंग, आदि का कारक ग्रह भी शुक्र को ही माना जाता
है। शुक्र का साथ रहे तो जीवन प्रेम से भर जाता है। astro vastu sarvesh के मुताबिक जब जातक की कुंडली में
शुक्र और मंगल का योग बन जाता है या इनका आपस में कोई संबंध होता है और पंचम भाव का
साथ मिल जाए तो ऐसी स्थिति में आपके जीवन
में प्यार की बहार आ सकती है। इसके अलावा पंचम भाव और सप्तम भाव के स्वामी यदि एक
साथ आ जायें तो यह स्थिति भी प्रेम जीवन के लिये सकारात्मक योग बनाती है और आपको
अपना प्यार मिलने की संभावना प्रबल होती हैं। यदि शुक्र की दृष्टि पंचम पर पड़ रही
हो या फिर वह चंद्रमा को देख रहा हो तो ऐसी दशा में प्यार की संभावना बढ़ सकती है।
पंचमेश और एकादशेश का एक साथ बैठना भी आपकी कुंडली में प्रेमयोग को दर्शाता है।
क्यों टूट सकता है दिल premrog
उपरोक्त सभी स्थितियां कुंडली में प्रेम का योग बनाती हैं।
लेकिन कुछ स्थितियां परिस्थितियाँ ऐसी भी
होती हैं जिनमें आपकी अच्छी खासी लव लाइफ तहस-नहस हो जाती है। आप मायूस हो जाते
हैं, आपको लगता है जैसे आपकी या उसकी गलती की वजह से ऐसा हुआ जबकि
ऐसा नहीं है अपने आपको दोष मत दें। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ऐसा पंचम भाव पर पाप
ग्रहों की दृष्टि से होता है। जब शुक्र और मंगल एक साथ होते हैं तो ऐसे में प्रेम
योग तो बन जाता है लेकिन यदि इन पर शनि की दृष्टि पड़ रही हो तो ऐसे में प्रेम
संबंध टूट सकते हैं बिखर सकते हैं यदि शनि के नक्षत्र ऐसा करने पर शनि को कहे तो ।
चंद्रमा में शुक्र की युति भी आपकी कुंडली में प्रेमयोग के लिये अच्छी मानी जाती
है लेकिन जब इस पर शनि की दृष्टि पड़ती है या साथ मे ही हो तो यही एक विष योग बन जाता है, जिससे छोटी-छोटी बातों को लेकर आपस में मनमुटाव होने लगते हैं और ब्रेकअप
होने तक की नौबत आ जाती है।
यदि नवां भाव का साथ भी जातक को मिल जाए तो ये भी पंचम भाव के
साथ मिल कर love affair करा सकता है
दोस्तों L O V E अंग्रेजी में 4 शब्द और हिंदी में ढाई शब्द प्रेम का, है बहुत छोटा, किंतु इसका व्याख्यान या इसके बारे में
जितनी भी बात की जाए अंश मात्र ही होगी। इसी प्रकार से ज्योतिष में
भी प्रेम के विषय में समुद्र जैसा वर्णन मिलता है। बहुत से लोगों के लिए यह prem
yog प्रेम का योग बनाता है और बहुत से
लोगों के लिए यही premrog प्रेम रोग बन जाता है ऐसी स्थिति में मैंने बहुत थोड़े
शब्दों में आपको बहुत अधिक समझाने का प्रयास किया है मैंने चंद्र, शुक्र, मंगल, और शनि इनके एक ही कॉन्बिनेशन का वर्णन
किया है ताकि एक उदाहरण आपके सामने दे सकूं, इसके अलावा इसमें राहु, केतु, सूर्य, इनके मिलने से या इनकी दृष्टि से भी कई योग का निर्माण होता
है जिनके बारे में बताऊंगा तो पेज बहुत लंबा हो जाएगा और हो सकता है
पढ़ने में ठीक भी ना लगे, इसलिए एक उदाहरण देकर के मैंने समझया, कि आप को समझने में सुविधा होगी और मेरी बातों को आप
भली-भांति समझेंगे, इसलिए दोस्तों यदि आपको समझने में कहीं कोई दिक्कत आई हो तो
मुझसे कांटेक्ट अवश्य करें मेरी पूरी कोशिश होगी कि मैं आप की दुविधा का समाधान
अवश्य करूं इसी उम्मीद के साथ यहीं समाप्त करता हूं।
धन्यवाद
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